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रिक्शा चालक का बेटा 21 साल की उम्र में बना IAS-IAS Success Story

IAS Success Story:- कभी फीस भरने के लिए वेटर बने, जानिए फिर कैसे एक रिक्शा चालक का बेटा 21 साल की उम्र में बना IAS

Success Story Of IAS Shaikh Ansar Ahmad:-




 आज तक हमने बहुत से आईएएस अधिकारियों के संघर्ष और सफलता की कहानी आपसे साझा की है. आज जिस शख्सियत से हम आपको मिलाने जा रहे हैं, उसकी कहानी सुनकर आप दांतो तले उंगली दबा लेंगे. अंसार को जानकर लगता है कि क्या यह हकीकत है या कोई फिल्म की स्क्रिप्ट सुनायी जा रही है. यहां गरीबी है, भूख है, हर तरह का अभाव है और साथ है तो हर हालात में पढ़ाई करने का जज्बा, आईएएस ऑफिसर बनने का जुनून और अंत में जीत उस साहस की होती है जो कठिन से कठिन परिस्थिति में भी खुद को थामे रहता है, बिखरने नहीं देता.




कंप्यूटर सीखने को बने वेटर:-
यह बात कक्षा दसवीं की है. गर्मियों की छुट्टियों के दौरान अंसार को कंप्यूटर सीखने का मन किया. उस समय कंप्यूटर क्लास जिसे वे ज्वॉइन करना चाहते थे कि फीस 2800 के आसपास थी. अंसार ने फीस भरने के लिये पास के ही एक होटल में वेटर का काम करना शुरू कर दिया जहां उन्हें तीन हजार रुपये पगार पर रखा गया था. सुबह 8 से रात 11 तक की इस नौकरी में बीच में दो घंटे का ब्रेक मिलता था. अंसार इसी ब्रेक में खाना खाते और कंप्यूटर क्लास अटेंड करने जाते. इस होटल में अंसार ने अपनी क्षमता से दोगुने साइज के पानी के बर्तन को कुंए से भरने से लेकर, टेबल पोछने और रात में होटल का फर्श साफ करने तक का काम किया. पर वे खुश थे कि अपनी फीस भर पा रहे हैं.




स्कूल छुड़ाने की हो गयी थी पूरी तैयारी :-
अंसार के पिता अहमद शेख ऑटो रिक्शा चलाते थे और घर में मां-बाप के अलावा दो बहनें और एक भाई थे. कुल मिलाकर चार बच्चे और दो बड़े. पिता की कमाई से खर्चा पूरा नहीं पड़ता था इसलिये मां अज़ामत शेख भी लैंड लेबर का काम करती थीं. खेतों में काम करके जो थोड़ा बहुत पैसा मिलता था वे अंसार को पढ़ाई के लिये उपलब्ध कराती थीं. इसी बीच जब अंसार कक्षा 4 में थे तो उनके पिता को किसी ने सलाह दी कि इसकी पढ़ाई बंद कराओ और काम पर लगाओ तो दो पैसे घर आयें. वैसे भी कौन सा पढ़ने से नौकरी मिल जायेगी. अंसार के पिता को बात समझ आयी और वे पहुंच गये स्कूल अंसार की पढ़ाई छुड़ाने. लेकिन भला हो अंसार के शिक्षक पुरुषोत्तम पडुलकर का जिन्होंने उनके पिता को कहा कि उसे पढ़ने दें वो पढ़ाई में बहुत अच्छा है. एक साक्षात्कार में अंसार बताते हैं कि अगर परुषोत्तम सर नहीं होते तो आज वे भी ऑटो ही चला रहे होते.




ऐसे आया ऑफिसर बनने का ख्याल :-
बीपीएल वर्ग को मिलने वाली एक योजना का लाभ लेने जब अंसार के पिता ऑफिस पहुंचे तो वहां बैठे ऑफिसर ने अंसार के पिता से घूस मांगी और अंसार के पिता ने उन्हें घूस दी. तब अंसार को लगा कि इस करप्शन का शिकार हम जैसे गरीब लोग सबसे ज्यादा होते हैं. इसे मिटाने के लिये उन्हें भी ऑफिसर बनना है. ऑफिसर बनने की तो ठीन ली पर रास्ता नहीं पता था कि तभी दूसरों के माध्यम से मार्ग खुला. इस घटना के बाद अंसार के दसवीं के एक शिक्षक का चयन एमपीएससी में हो गया, जिसे देखकर अंसार बहुत प्रभावित हो गये कि मुझे भी सर के जैसा ऑफिसर बनना है. दसवीं के बाद जब अंसार कॉलेज पहुंचे तो उनके एक और शिक्षक जो खुद एमपीएससी की तैयारी कर रहे थे ने अंसार को यूपीएससी के बारे में भी बताया, वस यहीं से उन्होंने मन बना लिया कि वे भी यह परीक्षा पास करेंगे. मजे की बात यह है कि अंसार का एमपीएससी परीक्षा में चयन नहीं हुआ.




डू और डाय वाले हालात थे :-
लेकिन अंसार शेख की हिम्मत, मेहनत और जज्बे की दाद देनी होगी की साल 2015 में पहले ही प्रयास में उन्होंने 361वीं रैंक लाकर वो कर दिखाया जो बहुत से कैंडिडेट सभी सुविधाओं के बाद भी न जाने कितने प्रयासों में भी नहीं कर पाते. अंसार को पश्चिम बंगाल में नियुक्ति मिली.